एक लड़की की तुम्हें क्या सुनाऊँ दास्तां - The Indic Lyrics Database

एक लड़की की तुम्हें क्या सुनाऊँ दास्तां

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - अलका याज्ञनिक, उदित नारायण | संगीत - जीत प्रीतम | फ़िल्म - मेरे यार की शादी है | वर्ष - 2002

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एक लड़की की तुम्हें क्या सुनाऊँ दास्तां
वो पगली है सबसे जुदा
हर पल नई उसकी अदा
फूल बरसें लोग तरसें जाए वो लड़की जहाँ
एक लड़की की तुम्हें ...है खफ़ा तो खफ़ा फिर खुद ही वो मान भी जाती है
लाती है होंठों पे मुस्कान वो
हो चुप है तो चुप है वो
फिर खुद ही वो गुनगुनाती है
गाती है मीठी मीठी तानें वो
कैसे कहूँ कैसी है वो
बस अपने ही जैसी है वो
फूल बरसें ...आजकल हर वो पल बीता जो था उसके साथ में
क्या कहूँ ख्वाबों में आता है क्यूँ
हो याद जो आए तो उससे बिछड़ने की वो घड़ी
क्या कहूँ दिल दुःख सा जाता है क्यूँ
अब मैं कहीं वो है कहीं
पर है दुआ ऐ हमनशीं
फूल बरसें ...