दीवारों से मिलकर रोना अच्छा लगता है - The Indic Lyrics Database

दीवारों से मिलकर रोना अच्छा लगता है

गीतकार - कैसरउलजाफ़री | गायक - पंकज उधास | संगीत - पंकज उधास | फ़िल्म - मुकर्रर | वर्ष - 1981

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दीवारों से मिलकर रोना अच्छा लगता है
हम भी पागल हो जायेंगे ऐसा लगता है
दुनिया भर की यादें हम से मिलने आती हैं
शाम ढले इस सूने घर में मेला लगता है
कितने दिनों के प्यासे होंगे यारों सोचो तो
शबनम का कतरा भी जिनको दरिया लगता है
किसको 'कैसर' पत्थर मारूँ, कौन पराया है
शीश-महल में एक एक चेहरा अपना लगता है