दारु की बोटल में फिर ना कहना माइकल दारुउ पीई के - The Indic Lyrics Database

दारु की बोटल में फिर ना कहना माइकल दारुउ पीई के

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - मुकेश | संगीत - शंकर, जयकिशन | फ़िल्म - मेरा नाम जोकर | वर्ष - 1970

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हे हे हे हे हे

हे हां कोई सो साहेबा ला ला ला लला
हां कोई सो साहेबा ला ला ला लला
हां कोई सो साहेबा ला ला ला लला
हे हां कोई सो साहेबा ला ला ला लला

दारु की बोतल में
साहेब पानी भरता है
फिर ना कहना मिचल
दारु पि कर दंगा करता है
हे हां कोई सो साहेबा ला ला ला लला

शि शीष इ कैसा करता ऐसा काहे को होता
शि शीष इ कैसा करता ऐसा काहे को होता
देख ले जिस दिन मिचल को रात को सेठ नहीं सोता
खुद चोरी करता है लेकिन चोर से डरता है
फिर ना कहना मिचल
दारु पि कर दंगा करता है
हे हां कोई सो साहेबा ला ला ला लला
हे हां कोई सो साहेबा ला ला ला लला

जंगल में है मोर बड़े शहर में है चोर बड़े
जंगल में है मोर बड़े शहर में है चोर बड़े
अपने भी उस्ताद यहां पड़े हुए और बड़े

मिचल तो लोगो की बस खाली जेब कतराता है
फिर ना कहना मिचल
दारु पि कर दंगा करता है
हे हां कोई सो साहेबा ला ला ला लला
हे हां कोई सो साहेबा ला ला ला लला

लव में में में में फ में ऋ में फ मी
लव में में में में रे रे सि रे रोसी ला

साल-महीने के लिए खाने-पिने के लिए
अरे साल-महीने के लिए खाने-पिने के लिए
कितना पैसा चाहिए आखिर जीने के लिए
लोग दीवाने है जो इस पैसे पे मरता है
फिर ना कहना मिचल
दारु पि कर दंगा करता है
हे हां कोई सो साहेबा ला ला ला लला
हे हां कोई सो साहेबा ला ला ला लला
दारु की बोतल में
साहेब पानी भरता है
फिर ना कहना मिचल
दारु पि कर दंगा करता है
हे हां कोई सो साहेबा ला ला ला लला
हे हां कोई सो साहेबा ला ला ला लला
हे हां कोई सो साहेबा ला ला ला लला
हे हां कोई सो साहेबा ला ला ला लला.