क़िस्मत के लिखे को मिटा न सके - The Indic Lyrics Database

क़िस्मत के लिखे को मिटा न सके

गीतकार - NA | गायक - सुरैया, रफी | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - दुनिया | वर्ष - 1949

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राम चले बन चले राम रघुवीर

राम चले

बन चले राम रघुवीर

कहाँ जानकी जनकदुलारी

कहाँ लाडला लछमन रे

झूले थे जो फूलहिण्डोले

आज चले संग कटु बन रे

हो गई सूनी आज अयोध्या

सूना सरयू तीर

बन चले राम रघुवीर

रोको

कोई रोको

रथ रोको हे पुरवासी

जाते हैं सुन्न प्रवासी

होते हैं क्यूँ बनवासी

गई ख़ुशी और रही उदासी

राम का रथ क्या चलता है

सबको ये चक्र कुचलता है

श्री राम का रथ क्या चलता है

सबको ये चक्र कुचलता है

रघुकुल का भाग्य बदलता है

उगता सा सूरज ढलता है

प्राण चले हैं संग राम के

सूना पड़ा शरीर