दीवाने हैं दीवानों को न घर चाहिए - The Indic Lyrics Database

दीवाने हैं दीवानों को न घर चाहिए

गीतकार - गुलशन बावरा | गायक - मोहम्मद रफी - लता मंगेशकर | संगीत - कल्याणजी आनंदजी | फ़िल्म - ज़ंजीर | वर्ष - 1973

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आप के दिल में जो थोडी सी जगह मिल जाए
अपने अरमानों की बेताब कली खिल जाए
दीवाने हैं दीवानों को न घर चाहिए, न दर चाहिए
मोहब्बत भरी एक नज़र चाहिए
जवानी में जवानी के सहारे हो जवाँ, मेरे मेहरबां
मुझे तू ही तू हमसफर चाहिए
है सर पे हमारे खुला आसमाँ
हमारे लिए है यही आशियाँ
बिना प्यार के ज़िन्दगी कुछ नहीं
जहाँ प्यार है हर ख़ुशी है वहीं
हो फूलों भरी चाहे चाहे काँटों भरी
चले जिसपे तू वो डगर चाहिए
निगाहों में ऐसे इशारे हुए
के दिल ने कहा हम तुम्हारे हुए
नज़र बन गई है जुबाँ प्यार में
मजा आ गया जीत का हार में
मिलेगा वही माँगोंगे जो दिलदार से, मगर प्यार से
दुआओं में अपनी असर चाहिए