क़ौम की ख़िदमत में रहो मिटने को तैयार - The Indic Lyrics Database

क़ौम की ख़िदमत में रहो मिटने को तैयार

गीतकार - NA | गायक - हेमंत, बेला, अवा बनर्जी, समरेश राॅय | संगीत - हेमंत कुमार | फ़िल्म - गैर-फिल्मी | वर्ष - 1947

View in Roman

राखी का आया त्योहार सखी राखी का आया त्योहार

राखी का आया त्योहार सखी राखी का आया त्योहार

मोरे भैया जियें जलें घर में दिये मैं उसी के लिए

बाँधूँ राखी में आशा के तार

सखी राखी का आया त्योहार

उठे मन में उमंग जैसे सागर में तरंग

जैसे बगिया में आई बहार

सखी राखी का आया त्योहार

देखी दुनिया की रीत बहन भाई की प्रीत गाओ ख़ुशी के गीत

मोरे बाबुल के घर का सिंगार सखी

सखी राखी का आया त्योहार

यूँ बाँधने को बाँधो कोई हज़ार धागे

लेकिन हज़ार पर हैं राखी के चार धागे

चार धागों में बँधा है प्यार

सखी राखी का आया त्योहार