ऐ बाबू ये पब्लिक है सब जानती हैं - The Indic Lyrics Database

ऐ बाबू ये पब्लिक है सब जानती हैं

गीतकार - गुलजार | गायक - आशा भोंसले, नितिन मुकेश | संगीत - आर डी बर्मन | फ़िल्म - दूसरी सीता | वर्ष - 1974

View in Roman

आई बाबू ये पब्लिक हैं पब्लिक
ये जो पब्लिक हैं सब जानती हैं
ये जो पब्लिक हैं
ये जो पब्लिक हैं सब जानती हैं
ये जो पब्लिक हैं
अजी अंदर क्या हैं बाहर क्या हैं
अंदर क्या हैं बाहर क्या हैं
ये सब कुछ पहचानती हैं
ये जो पब्लिक
ये जो पब्लिक हैं सब जानती हैं
ये जो पब्लिक हैं
अजी अंदर क्या हैं बाहर क्या हैं
अंदर क्या हैं बाहर क्या हैं
ये सब कुछ पहचानती हैं
पब्लिक हैं सब जानती हैं
ये जो पब्लिक हैं
ये जो पब्लिक हैं सब जानती हैं
ये जो पब्लिक हैं

हीरे-मोती तुमने छुपाये कुछ हम लोग ना बोली
हीरे-मोती तुमने छुपाये कुछ हम लोग ना बोली
अब आता-चावल भी छुपा तो भूखों ने मुँह खोलें
अरे भीख ना माँगे कर्ज़ ना माँगे
भीख ना माँगे कर्ज़ ना माँगे
ये अपना हक़ मंगती हैं
ये जो पब्लिक हैं सब जानती हैं
ये जो पब्लिक हैं
ये जो पब्लिक हैं सब जानती हैं
ये जो पब्लिक हैं
ये चाहें तो सर पे बिता ले चाहें फेंक दे नीचे
ये चाहें तो सर पे बिता ले चाहें फेंक दे नीचे
पहले ये पीछे भागे फिर भागो इसके पीछे
अरे दिल टूटे तो अरे ये रोते तो
दिल टूटे तो अरे ये रोते तो
तौबा कहाँ फिर मानती हैं
पब्लिक हैं सब जानती हैं
ये जो पब्लिक हैं
ये जो पब्लिक हैं सब जानती हैं
ये जो पब्लिक हैं

क्या नेता क्या अभिनेता दे जनता को जो धोखा
क्या नेता क्या अभिनेता दे जनता को जो धोखा
पल मैं शोहरत उड़ जाये ज्यों एक पवन का झोंका
अरे ज़ोर ना करना अरे शोर ना करना
ज़ोर ना करना अरे शोर ना करना
ज़ोर ना करना शोर ना करना
अपने शहर मैं शान्ती हैं
ये जो पब्लिक हैं सब जानती हैं
ये जो पब्लिक हैं
ये जो पब्लिक हैं सब जानती हैं
ये जो पब्लिक हैं

अजी अंदर क्या हैं बाहर क्या हैं
अंदर क्या हैं बाहर क्या हैं
ये सब कुछ पहचानती हैं
ये जो पब्लिक
ये जो पब्लिक हैं सब जानती हैं
ये जो पब्लिक हैं.