इन हाथों से सब की गाड़ी चल रही हैं - The Indic Lyrics Database

इन हाथों से सब की गाड़ी चल रही हैं

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - सहगान, किशोर कुमार | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - चलती का नाम गाड़ी | वर्ष - 1958

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अजी सुनाओ सरदारा की हाल है ?
laughter
इन हाथों से सब की गाड़ी चल रही है
को: वाह वाह !
हाथ ला उस्ताद, क्यों, कैसी कही है ?
को: वाह वाह !
इन हाथों से सब की गाड़ी ...एक दिन की है बात राह मेइन हम जाते थे
को: hmmmm ?
गाड़ी बिगड़ी है लोग ये चिल्लाते थे
जाकर देखा यार रोता था दिलीप कुमार
अरे कम्बख्त गाड़ी को भी यहीं punctureहोना था ह्म्म्म
हम पहुँचे तो सारी आफ़त टल गयी वाह वाहइन हाथों से सब की गाड़ी ...पो पो motor carजिस घड़ी सन सन सनके
बोले अपने हाथ राह में hornबनके
प्यारे हट जाना नीचे न कट जाना
कितनों कि गिरती पगड़ी सम्भल गयी वाह वाहइन हाथों से सब की गाड़ी ...ये रुक जाते तो सारे धंधे रुक जाते
घर से दफ़्तर तक सेठ कैसे जा पाते
सारा कारोबार हो जाता बंटाढार
अरे मारो सारा कारोबार हो गया बंटाढार
यूँ समझो इन से ये दुनिया चल गयी वाह वाह
इन हाथों से सब की गाड़ी ...