राही था मैं आवारा - The Indic Lyrics Database

राही था मैं आवारा

गीतकार - राजेन्द्र कृष्ण | गायक - किशोर कुमार | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - साहेब बहादुर | वर्ष - 1977

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राही था मैं आवारा
फिरता था मारा-मारा
तेरे शहर में आकर एक दिन
चमका तक़दीर का तारा
महके हुए बदन से ख़ुश्बू सी आ रही है
जैसे पवन कहीं पर चंदन लूटा रही है
आँखों से कोई दिल में ऐसे उतर रहा है
बेनाम सा नशा है
जी चाहता है मेरा कोई रात ऐसी आये
देखे जो साथ हमको फिर लौट के ना जाये
मैं तुम से कुछ ना बोलूं तुम मुझसे कुछ ना बोलो
खामोशियां भी सोचे ये कौनसी अदा है
बेनाम सा नशा है
देखा जिधर जिधर भी मस्ती भरी नज़र से
राहों में रंग छाये, बागों में फूल बरसे
जैसे कदम कदम पे मयखाना खुल गया है
बेनाम सा नशा है