ऊऽ प्यार बनके - The Indic Lyrics Database

ऊऽ प्यार बनके

गीतकार - राजा मेहदी अली खान | गायक - NA | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - विद्या | वर्ष - 1948

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क़िस्मत के लिखे को मिटा न सके

क़िस्मत के लिखे को मिटा न सके

हम उनको अपना बना न सके

वो आ न सके हम जा न सके

और ज़ख़्मएजिगर भी दिखा न सके

जो राज छुपा है सीने में

उसको भी हाय सुना न सके

क़िस्मत के लिखे को मिटा न सके

हम उनको अपना बना न सके

सु : हम क़ैद में थे मजबूर हुये

नज़दीक भी रह कर दूर हुये

दिल के शीशे चूर हुये

ये बात किसी को बता न सके

र : जब दर्द जिगर में होता है

सु : ए

दिल चुपकेचुपके रोता है

र : आँसू तो बहे पानी बन कर

सु : पर दिल की आग बुझा न सके

र : जो वार हुये भरपूर हुये

सु : जो दाग़ पड़े नासूर हुये

हम भूलने पर मजबूर हुये

र : हम याद तुम्हारी भुला न सके

क़िस्मत के लिखे को मिटा न सके

हम उनको अपना बना न सके