किटनी ज़ालिम है जिस तराह से हम बाराबाद हुये - The Indic Lyrics Database

किटनी ज़ालिम है जिस तराह से हम बाराबाद हुये

गीतकार - | गायक - सुरैया | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - दुनिया | वर्ष - 1949

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कितनी ज़ालिम है ये दुनिया फूँक डाला घर मेरा
जल गया सारा चमन हम बेज़बाँ देखा किया( जिस तरह से हम बरबाद हुये
ऐसा भी कोई बरबाद न हो
ऐसा भी कोई बरबाद न हो ) -२दिल की बस्ती इस तरह से लुट गई इक भूल से
जिस तरह ख़ुशबू जुदा हो जाये नाज़ुक फूल से
हाय दुनिया क्या तुझे यूँही मुझे बहलाना था -२
ख़ाब था जो कुछ के देखा जो सुना अफ़साना था( जिस तरह से हम बरबाद हुये
ऐसा भी कोई बरबाद न हो
ऐसा भी कोई बरबाद न हो ) -२