आज अपनि मेहनतों का मुझको समारा मिल गया - The Indic Lyrics Database

आज अपनि मेहनतों का मुझको समारा मिल गया

गीतकार - मुंशी आरज़ू | गायक - पंकज मलिक | संगीत - पंकज मलिक | फ़िल्म - डॉक्टर | वर्ष - 1941

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हाय
( आज अपनी मेहनतों का
मुझको समरा (?) मिल गया ) -२
किसमें सुख खोया हुआ था मैं -२
वो सहरा मिल गया
आज अपनीरह गया

रह गया मिलने से क्या
जब चैन दिल का मिल गया

फूल ये आधा गया
तो बाग़ सारा मिल गाया
फूल ये आधा गया
तोसूखे पत्ते
सूखे पत्ते झाड़ कर
सर-सब्ज़ होते हैं शज़र
जितना कुछ लुटता रहा
उससे जियादा मिल गया
जितना कुछ लुटताआरज़ू
आरज़ू तस्कीन-ए-दिल को
आरज़ू-ए-एहतमात

ये ना सोचो क्या न पाया
ये कहो क्या मिल गयाआज अपनी मेहनतों का
मुझको समरा (?) मिल गया