राह पे रहते हैं, यादों पे बसर करते हैं - The Indic Lyrics Database

राह पे रहते हैं, यादों पे बसर करते हैं

गीतकार - गुलजार | गायक - किशोर कुमार | संगीत - राहुल देव बर्मन | फ़िल्म - नमकीन | वर्ष - 1982

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राह पे रहते हैं, यादों पे बसर करते हैं
खुश रहो अहल-ए-वतन हम तो सफ़र करते हैं
जल गए जो धूप में तो साया हो गए
आसमान का कोई कोना ओढ़ा सो गए
जो गुज़र जाती है बस उस पे गुज़र करते हैं
उड़ते पैरों के तले जब बहती है ज़मीं
मुड़ के हम ने कोई मंज़िल देखी ही नहीं
रात दिन राहों पे हम शाम-ओ-सहर करते हैं
ऐसे उजड़े आशियाने तिनके उड़ गए
बस्तियों तक आते आते रस्ते मुड़ गए
हम ठहर जाएँ जहाँ उसको शहर करते हैं