पुरवाई पवन लहराए, ओ जिया गाए - The Indic Lyrics Database

पुरवाई पवन लहराए, ओ जिया गाए

गीतकार - जाकिर हुसैन | गायक - तलत, सुप्रोवा सरकार | संगीत - रॉबिन चटर्जी | फ़िल्म - तुम और मैं | वर्ष - 1947

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क़ौम की ख़िदमत में रहो मिटने को तैयार

क़ौम की ख़िदमत में रहो मिटने को तैयार

सब: मरने को तैयार रहो मिटने को तैयार रहो

बड़ने को तैयार रहो मरने को तैयार

स: आपस के फ़सदों को मिटाना ही पड़ेगा

आ: ये ज़ुल्म कि तहदी को हटाना ही पड़ेगा

स्बे: वो क़ौम नही जिसमे ना हो बड़ने का अरमान

सब: मरने को तैयार रहो मिटने को तैयार रहो

बड़ने को तैयार रहो मरने को तैयार

हे: मंदिर ने पुकारा तुम्हे मसजीद ने पुकारा

अल्लाह ने पुकारा तुम्हे ईश्वर ने पुकारा

हेबे: अज़ाद वतन के लिए वलिदान हो जाना

अज़ाद वतन के लिए क़ुर्बान हो जाना

सब: मरने को तैयार रहो मिटने को तैयार रहो

बड़ने को तैयार रहो मरने को तैयार

हे: वेद में क़ुरान में तो एक बात हैं

इनसान के ख़िदमत से बड़ा कौन काम हैं

स: इनसान के ख़िदमत मे करो भेट ज़िंदगी

आपस के फ़सादों से करो भेट बंदगी

सब: मरने को तैयार रहो मिटने को तैयार रहो

बड़ने को तैयार रहो मरने को तैयार