क्या कहा शिशि भरी गुलाब कि - The Indic Lyrics Database

क्या कहा शिशि भरी गुलाब कि

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - जीत | वर्ष - 1972

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क्या कहा तुझे मैं भूल जाऊँ
न तुझे याद करूँ न तुझे याद आऊँशीशी भरी गुलाब की पत्थर पे तोड़ दूँ -२
तेरी गली न छोड़ूँ
तेरी गली न छोड़ूँ दुनिया मैं छोड़ दूँ -२
साँसों की डोर से पिया माला का काम लूँ -२
करके बहाना राम का
करके बहाना राम का तेरा मैं नाम लूँ -२
शीशी भरी गुलाब की पत्थर पे तोड़ दूँ( प्रेम है ये कोई खेल नहीं
ये कोई दो दिलों का सैयाँ मेल नहीं ) -२
जा काँटा चुभा हो पाँव में दूँ मैं निकाल वो
काँटा चुभा हो पाँव में दूँ मैं निकाल वो
कैसे निकालूँ दिल से मैं तेरे ख़याल को -२भूला तू करके वादे पीपल की छाँव में -२
तुझसा नहीं है कोई
तुझसा नहीं है कोई हरजाई गाँव में -२
शीशी भरी गुलाब की पत्थर पे तोड़ दूँ( छोड़ दे मेरा हाथ चन्ना
ना मजाक करे मेरे साथ चन्ना ) -२
मैं कलियाँ भरी बहार की बागों से नोंच लूँ
कलियाँ भरी बहार की बागों से नोंच लूँ
फिर हाँ करूँगी बालमा पहले मैं सोच लूँ -२देखा हँसा दिया तुझे हो तांगे वाले यार -२
रूठा हुआ था माहिया
रूठा हुआ था माहिया मैंने मना लिया -२
शीशी भरी गुलाब की पत्थर पे तोड़ दूँ
पत्थर पे तोड़ दूँ -२