इक दिल के टुकड़े हज़ार हुए - The Indic Lyrics Database

इक दिल के टुकड़े हज़ार हुए

गीतकार - कमर जलालाबादी | गायक - रफी | संगीत - हुस्नलाल -भगतराम | फ़िल्म - प्यार की जीत | वर्ष - 1948

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इस दर्द की मारी दुनिया में

इस दर्द की मारी दुनिया में

मुझसा भी कोई मजबूर न हो

जिस तरह ख़ुशी से दूर हूँ मैं

यूँ कोई ख़ुशी से दूर न हो

उजड़े हुए दिल में कुछ भी नहीं

अश्कों के सिवा आहों के सिवा

क्यूँ ऐसे चमन में फूल खिलें

हँसने का जहाँ दस्तूर न हो

तूफ़ान है ग़म का चारों तरफ़

और छाई हुई है काली घटा

क्यूँ नैय्या हमारी पार लगे

क़िस्मत ही को जब मंज़ूर न हो

इस दर्द की मारी दुनिया में

मुझसा भी कोई मजबूर न हो