शनिवार तक वह - The Indic Lyrics Database

शनिवार तक वह

गीतकार - | गायक - | संगीत - | फ़िल्म - | वर्ष - 1985

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शनिवार तक वह अफसर रहते हैं
शनिवार तक वह अफसर रहते हैं
संदाय जब आता हैं मर्द
औरत बन जाता हैं
शनिवार तक वह अफसर रहते हैं
शनिवार तक वह अफसर रहते हैं
संदाय जब आता हैं मर्द
औरत बन जाता हैं

हम दोनों रहते हैं घर में
हिस्से डारो जैसे
बारी बारी काम घरेलू
कर लेते हैं ऐसे
खाना जल्दी मिलता हैं
जब उसकी बारी आती हैं
मैं तो मर्द बीबी मेरी
पूरी औरत बन जाती हैं
 

शनिवार तक वह अफसर रहते हैं
शनिवार तक वह अफसर रहते हैं
संदाय जब आता हैं मर्द
औरत बन जाता हैं

बीबी उसकी कारें नौकरी
मर्द को नहीं घवरा
पति ही केवल काम करें तो
मुश्किल हो ग़ुजारा
झाला न चूल्हा तो आज कहते हैं
आज उपवास हमारे
प्यार से ही करते हैं तसली
और नहीं कोई चारा
शनिवार तक वह अफसर रहते हैं
शनिवार तक वह अफसर रहते हैं
संदाय जब आता हैं मर्द
औरत बन जाता हैं.