इश्क दा रोग लगा ओए होए जीवन को जोग लगा तु इसकी जान बचा - The Indic Lyrics Database

इश्क दा रोग लगा ओए होए जीवन को जोग लगा तु इसकी जान बचा

गीतकार - समीर | गायक - अनुराधा पौडवाल | संगीत - आनंद, मिलिंद | फ़िल्म - आई मिलन की रात | वर्ष - 1991

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इशक़ दा रोग लगा ओये होये
जीवन को जोग लगा ओये होये
तू इसकी जान बचा लेगा
इशक़ दा रोग लगा ...कभी हो दर्द यहां कभी हो दर्द वहां ओये होये
जबां दी पीर बेदर्दी कैसी दर्द हो यहां वहां
कभी ऐसा भी हो जाएगा कोई इतना मुझे तड़पाएगा
नहीं था मुझको पता करूं क्या मुझको बता ओये होये
मैं बन गई प्रेम दीवानी
करूं क्या मुझे ...मुझे कुछ न किसी के कहना था सच कहती हूँ चुप रहना था
ये कंगना बोल गया भेद सब खोल गया
छुपाया लाख मगर कंगन भेद वह खोल गया
सखी पूछ ज़रा बात हुई कब कैसे कहूं क्या बात हुई
मैं अंगना बीच खड़ी उनसे आँख लड़ी
शर्म से हो गई पानी मैं अंगना बीच खड़ी ओये होये
इशक़ दा रोग लगा ...