अपनि नज़रों से बहुत दुउर ना अपना था जो कल - The Indic Lyrics Database

अपनि नज़रों से बहुत दुउर ना अपना था जो कल

गीतकार - देव कोहली | गायक - मुकेश | संगीत - जे जगदीश | फ़िल्म - जीवन रेखा | वर्ष - 1974

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अपनी नज़रों से बहुत दूर छुपा दूँ खुद को
जी में आता है कि कहीं रख के भुला दूँ खुद कोन अपना था जो कल गुज़रा जो अब है वो है ग़ैरों का
नहीं उम्मीद अब कोई कल हमारा भी क्या होगा -२बड़ी रानाइयाँ होंगी जहाँ में हम नहीं होंगे
हमारे एक न होने से फ़साने कम नहीं होंगे
हमारा आज चर्चा है तो कल औरों का फिर होगा
ना अपना था ...उजड़ने को है फिर महफ़िल नई आबाद कर लेना
नई बुनियाद जब रखो हमें भी याद कर लेना
दुखाना दिल को न हरगिज़ दुखाकर दिल को क्या होगा
ना अपना था ...