रात के सन्नाटे में हमने क्या क्या धोखे खाए हैं - The Indic Lyrics Database

रात के सन्नाटे में हमने क्या क्या धोखे खाए हैं

गीतकार - कतील शिफाई | गायक - गुलाम अली | संगीत - जय-विजय | फ़िल्म - सौगात (गैर फिल्म) | वर्ष - 1996

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रात के सन्नाटे में हमने क्या क्या धोखे खाये हैं
अपना ही जब दिल धड़का तो हम समझे वो आये हैंसूनी गलियाँ बन्द झरोखे या फिर ग़म के साये हैं
चाँद सितारे निकले हैं लेकिन मेरे लिये क्या लाये हैंजिस दिन से तुम बिछड़ गये ये हाल है अपनी आँखों का
जैसे दो बादल सावन के आपस में टकराये हैंअब तो राह न भूलोगे तुम अब तो हमसे आन मिलो
देखो हमने पलक पलक पर सौ सौ दीप जलाये हैं