बस याही अपराध मैं हर बार करता हुं - The Indic Lyrics Database

बस याही अपराध मैं हर बार करता हुं

गीतकार - नीरज | गायक - मुकेश | संगीत - शंकर, जयकिशन | फ़िल्म - पहचान | वर्ष - 1970

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बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँएक खिलौना बन गया दुनिया के मेले में
कोई खेले भीड़ में कोई अकेले में
मुस्कुरा कर भेंट हर स्वीकार करता हूँ
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ ...मैं बसाना चाहता हूँ स्वर्ग धरती पर
आदमी जिस में रहे बस आदमी बनकर
उस नगर की हर गली तैय्यार करता हूँ
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ ...हूँ बहुत नादान करता हूँ ये नादानी
बेच कर खुशियाँ खरीदूँ आँख का पानी
हाथ खाली हैं मगर व्यापार करता हूँ
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ ...