आशा के जब दीप बुझे अपनि छाया में - The Indic Lyrics Database

आशा के जब दीप बुझे अपनि छाया में

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - इंसानियत | वर्ष - 1955

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आशा के जब दीप बुझे तो मन का दीप जला
जग का रस्ता छोड़ मुसाफ़िर तेरी राह चलाअपनी छाया में भगवन बिठा ले मुझे
मैं हूँ तेरा तू अपना बना ले मुझे
अपनी छाया में ...अब मुझे ग़म का ग़म ना ख़ुशी की ख़ुशी
है अँधेरा भी मेरे लिए रोशनी
मैं जीऊँ जब तक आजमा ले मुझे
मैं हूँ तेरा तू ...देखकर मैं किसी की ख़ुशी ना जलूँ
राह इंसानियत की हमेशा चलूँ
भूल जाऊँ तो जग से उठा ले मुझे
मैं हूँ तेरा तू ...