ऐ दुनिया बता घर घर में दीवाली हैं - The Indic Lyrics Database

ऐ दुनिया बता घर घर में दीवाली हैं

गीतकार - प्रदीप | गायक - अमीरबाई | संगीत - अनिल बिस्वास | फ़िल्म - किस्मत | वर्ष - 1943

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ऐ दुनिया बता हमने बिगाड़ा है क्या तेरा
( घर-घर में दीवाली है
मेरे घर में अन्धेरा
मेरे घर में अन्धेरा ) -२बचपन में छोड़ के
मेरे बाबुल चले गये
बहना चली गई
मेरे साजन चले गये -२
किसमत की ठोकरों ने
किया हाल क्या मेरा -२
घर-घर में दीवाली है
मेरे घर में अन्धेराहमने तो फ़कीरों से
सुनी थी ये कहानी
क़िसमत की लकीरों से
बँधी दुनिया दीवानी
दो घर के बीच में भी है
दीवार का घेरा
घर-घर में दीवाली है
मेरे घर में अन्धेराचारों तरफ़ लगा हुआ
मीना-बज़ार है
धन की जहाँ पे जीत
ग़रीबों की हार है
इन्सानियत के भेस में
फिरता है लुटेरा
जी चाहता सन्सार में
मैं आग लगा दूँ
सोये हुये इन्सान की
क़िसमत को जगा दूँ
ठोकर से उड़ा दूँ मैं
दया-धर्म का डेराअब किसको सुनाउँ मैं
मेरा ग़म का तराना
पत्थर के दिलों ने मेरा
दुख-दर्द ना जाना
मेरे जिगर के टुकड़ों
को किसने बिखेरा
उफ़ किसने बिखेरा
घर-घर में दीवाली है
मेरे घर में अन्धेरा -२
घर-घर में दीवाली है मेरेछोटी सी मेरी बिनती
सुनो ऐ मोरे राजा -२
ओ सुनो ऐ मोरे राजा
एक बार मेरे प्यार के
पनघट पे तो आजा
ओ पनघट पे तो आजा
ऐ मोरे राजा
तेरे बिना शमशान है
बुलबुल का बसेरा
घर-घर में दीवाली है
मेरे घर में अन्धेरा -२ऐ दुनिया बता -२
ऐ दुनिया बता हमने
बिगाड़ा है क्या तेरा
( घर-घर में दीवाली है
मेरे घर में अन्धेरा
मेरे घर में अन्धेरा ) -२( बचपन में छोड़ के
मेरे बाबुल चले गये ) -२
बहना चली गई
मेरे साजन चले गये -२
क़िसमत की ठोकरों ने
किया हाल क्या मेरा -२
घर-घर में दीवाली है
मेरे घर में अन्धेरा -२( मैं जिसको ढूँढती हूँ
अन्धियारी रात में
फूटे हुये नसीब का
दीपक ले हाथ में ) -२
रोते ही रोते हाय -२
हो जायेगा सवेरा
घर-घर में दीवाली है
मेरे घर में अन्धेरा -२( हमने तो फ़कीरों से
सुनी थी ये कहानी
क़िसमत की लकीरों से
बँधी दुनिया दीवानी ) -२
( दो घर के बीच में भी
है दीवार का घेरा ) -२
( घर-घर में दीवाली है
मेरे घर में अन्धेरा
मेरे घर में अन्धेरा ) -२चारों तरफ़ लगा हुआ
मीना-बज़ार है
धन की जहाँ पे जीत
ग़रीबों की हार है
इन्सानियत के भेस में
फिरता है लुटेरा
जी चाहता सन्सार में
मैं आग लगा दूँ
सोये हुये इन्सान की
क़िसमत को जगा दूँ
ठोकर से उड़ा दूँ मैं
दया-धर्म का डेरा( अब किसको सुनाउँ मैं
अपना ग़म का तराना
पत्थर के दिलों ने मेरा
दुख-दर्द ना जाना ) -२
मेरे जिगर के टुकड़ों को
किसने बिखेरा
उफ़ किसने बिखेरा
घर-घर में दीवाली है
मेरे घर में अन्धेरा -२
घर-घर में दीवाली है मेरेछोटी सी मेरी बिनती
सुनो ऐ मोरे राजा -२
ओ सुनो ऐ मोरे राजा
एक बार मेरे प्यार के
पनघट पे तू आजा
ओ पनघट पे तू आजा
ऐ मोरे राजा
( तेरे बिना शमशान है
बुलबुल का बसेरा ) -२
( घर-घर में दीवाली है
मेरे घर में अन्धेरा
मेरे घर में अन्धेरा ) -२