मुहब्बत की राहों में चलना सम्भल के - The Indic Lyrics Database

मुहब्बत की राहों में चलना सम्भल के

गीतकार - शकील | गायक - रफी | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - उड़न खटोला | वर्ष - 1955

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मुहब्बत की राहों में
चलना सम्भल के
यहाँ जो भी आया
गया हाथ मल के
न पाई किसी ने मुहब्बत की मंज़िल
क़दम डगमगाए, ज़रा दूर चल के
हमें ढूँढती है, बहारों की दुनिया
कहाँ आ गए हम, चमन से निकल के
कहीं डूब जाए न, हसरत भरा दिल
न यूँ तीर फ़ेंको, निशाना बदल के