दिल कभी अपना था कैस खेल मोहब्बत मन खेले - The Indic Lyrics Database

दिल कभी अपना था कैस खेल मोहब्बत मन खेले

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - गीता दत्त, सुंदर | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - शगूफा | वर्ष - 1953

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सु : दिल कभी अपना था लेकिन अब पराया हो गया
ए जी हो दिल तो दिल था मूछ दाढ़ी का सफ़ाया हो गया
हायकैसे खेल मोहब्बत में खेले सितमगर तेरे लिये
कैसे खेल मोहब्बत में खेले सितमगर
सितमगर हाँ हाँ -२
सितमगर तेरे लिये
मैंने क्या क्या ना पापड़ बेले सितमगर तेरे लिये
मैंने क्या क्या ना पापड़ बेलेए जी हो
हुस्न पे हो गई क़ुर्बान हमारी दाढ़ी
ए जी हाँ
हुस्न पे हो गई क़ुरबान हमारी दाढ़ी
अलविदा, अलविदा, अलविदा, अलविदा, अलविदा
मरहूम बेचारी दाढ़ी
गी : ख़ून-ए-नाहक की सज़ा ख़्वाब में तुम पाओगे
भूत बन बन के डरायेगी तुम्हारी दाढ़ी
सु : सुख छोड़ के ये दुख झेले
सुख छोड़ के ये दुख झेले सितमगर तेरे लिये
सुख छोड़ के ये दुख झेले सितमगर
सितमगर हाँ हाँ -२
सितमगर तेरे लिये
मैंने क्या क्या ना पापड़ बेले सितमगर तेरे लिये
मैंने क्या क्या ना पापड़ बेलेकैसे खेल मोहब्बत में खेले सितमगर तेरे लिये
मैंने क्या क्या ना पापड़ बेले