आंख को जाम समाज बैठा था जगजीत सिंह: - The Indic Lyrics Database

आंख को जाम समाज बैठा था जगजीत सिंह:

गीतकार - शेवन रिज़वी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - ओपी नैय्यर | फ़िल्म - हमसाया | वर्ष - 1968

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आँख को जाम समझ बैठा था अनजाने में
साक़िया होश कहाँ था तेरे दीवाने में

जाने किस बात की उनको है शिकायत मुझसे
नाम तक जिनका नहीं है मेरे अफ़साने में

दिल के दुकड़ों से तेरी याद की खुशबू ना गई
बू-ए-मय बाकी है टूटे हुए पैमाने में

(बू-ए-मय = शराब की महक )

दिल-ए-बर्बाद में उम्मीद का आलम क्या है
टिमटिमाती हुई इक शम्मा है वीराने में