दिल की आवाज़ भी सूरज मेरे फसाने पे ना जा - The Indic Lyrics Database

दिल की आवाज़ भी सूरज मेरे फसाने पे ना जा

गीतकार - शेवन रिज़वी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - ओपी नैय्यर | फ़िल्म - हमसाया | वर्ष - 1968

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दिल की आवाज़ भी सुन मेरे फ़साने पे न जा
मेरी नज़रों की तरफ़ देख ज़माने पे न जाइक नज़र फ़ेर ले जीने की इजाज़त दे दे
रूठने वाले वो पहली सी मुहब्बत दे दे
(इश्क़ मासूम है-२), इलज़ाम लगाने पे न जावक़्त इनसान पे ऐसा भी कभी आता है
राह में छोड़के साया भी चला जाता है
(दिन भी निकलेगा कभी-२), रात के आने पे न जामैं हक़ीक़त हूँ ये इक रोज़ दिखाऊँगा तुझे
बेगुनाही पे मुहब्बत की रुलाऊँगा तुझे
दाग दिल के नहीं मिटते हैं मिटाने पे न जा