दूरियाँ नज़दीकियाँ बन गईं - The Indic Lyrics Database

दूरियाँ नज़दीकियाँ बन गईं

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - आशा भोसले - किशोर कुमार | संगीत - शंकर जयकिशन | फ़िल्म - दुनिया | वर्ष - 1968

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दूरियाँ नज़दीकियाँ बन गईं अजब इत्तिफ़ाक़ है
कह डालीं कितनी बातें अनकही अजब इत्तिफ़ाक़ है
ऐसे मिली दो निगाहें मिलती हैं जैसे दो राहें
जागी ये उल्फ़त पुरानी गाने लगी हैं फ़िज़ाएँ
प्यार की शहनाईयाँ बज गईं अजब इत्तिफ़ाक़ है
एक डगर पे मिले हैं हमतुम दो हमसाये
ऐसा लगा तुमसे मिलकर दिन बचपन के आए
वादियाँ उम्मीद की सज गईं अजब इत्तिफ़ाक़ है
पहले कभी अजनबी थे अब तो मेरी ज़िन्दगी हो
सपनों में देखा था जिसको साथी पुराने तुम्हीं हो
बस्तियाँ अरमान की बस गईं अजब इत्तिफ़ाक़ है