मुहब्बत के मारों का - The Indic Lyrics Database

मुहब्बत के मारों का

गीतकार - केदार शर्मा | गायक - रफ़ी, आशा | संगीत - रोशन | फ़िल्म - बावरे नैन | वर्ष - 1950

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मुहब्बत के मारों का हाल ये दुनिया में होता है
ज़माना उनपे हँसता है, नसीबा उनपे रोता है
हम पास तुम्हारे आ न सके
हम दूर भी तुमसे रह न सके
दम घुटता रहा अरमानों का
कुछ कहना चाहा कह न सके
मुहब्बत के मारों का
जिसने हमको बरबाद किया
हम उसको दुआएं देते हैं
जब दद.र से भर आता है दिल
बस नाम उसी का लेते हैं
मुहब्बत के मारों का
ये दद.र छुपाये छुप न सका
ये सहना चाहा सह न सके
दिल यास से भर आया लेकिन
आँखों से आँसू बह न सके
मुहब्बत के मारों का