हिरण्यगरबस ऐसे किस देवता की उपासना करेन हम हवी देकर - The Indic Lyrics Database

हिरण्यगरबस ऐसे किस देवता की उपासना करेन हम हवी देकर

गीतकार - पं वसंत देव | गायक - सहगान | संगीत - वनराज भाटिया | फ़िल्म - भारत एक खोज (गैर फिल्म) | वर्ष - 1980s

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हिरण्यगर्बस-समवर्तत-आग्रे
भूतस्य जातः पतिर-एक आसीत
स दाधार-पृथिवी-द्याम-उतेमा.म
कस्मै देवाय हविषा विधेमसृष्टि से पहले सत नहीं था, असत भी नहीं
अन्तरिक्ष भी नहीं, आकाश भी नहीं था
छिपा था क्या, कहाँ, किसने देखा था
उस पल तो अगम, अतल जल भी कहाँ थासृष्टि का कौन है कर्ता
कर्ता है वा अकर्ता
ऊँचे आकाश में रहता
सदाअ अध्यक्ष बना रहता
वही तो सच-मुच में जानता, या नहीं भी जानता
है किसी को नहीं पता
नहीं पतावह था हिरण्यगर्भ सृष्टि से पहले विद्यमान
वही तो सारे भूत-जात का स्वामी महान
जो है अस्तित्वमान धरती-आसमान धारण कर
ऐसे किस देवता की उपासना करें हम हवि देकरजिस के बल पर तेजोमय है अम्बर
पृथ्वी हरी-भरी स्थापित स्थिर
स्वर्ग और सूरज भी स्थिर
ऐसे किस देवता की उपासना करें हम हवि देकरगर्भ में अपने अग्नि धारण कर पैदा कर
व्यापा था जल इधर-उधर नीचे-ऊपर
जगा चुके वो कई एकमेव प्राण बनकर
ऐसे किस देवता की उपासना करें हम हवि देकरॐ! सृष्टि-निर्माता स्वर्ग-रचयिता पूर्वज, रक्षा कर
सत्यधर्म-पालक अतुल जल नियामक, रक्षा कर
फैली हैं दिशायें बाहु जैसी उसकी, सब में, सब पर
ऐसे ही देवता की उपासना करें हम हवि देकर
ऐसे ही देवता की उपासना करें हम हवि देकर