दुनियावालों से दूर, जलनेवालों से दूर - The Indic Lyrics Database

दुनियावालों से दूर, जलनेवालों से दूर

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - लता - मुकेश | संगीत - शंकर जयकिशन | फ़िल्म - उजाला | वर्ष - 1959

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दुनियावालों से दूर, जलनेवालों से दूर
आ जा, आ जा चले कहीं दूर, कहीं दूर, कहीं दूर
वो प्यार का जहां है, हर दिल पे मेहरबान है
कुछ और वो ज़मीं है, कुछ और आसमां है
ना ज़ुल्म का निशां है, ना ग़म की दास्तां है
हर कोई जिसको समझे वो प्यार की ज़ुबान है
उल्फ़त की रागनी में मस्तानी बेखुदी में
खो जायेंगे ये दो दिल खोई सी चांदनी में
फिर क्या करेगी दुनिया, जल जल मरेगी दुनिया
तारों में दो सितारें देखा करेगी दुनिया
हाथों में हाथ डाले, खुद को बिना संभाले
निकलेंगे हम जिधर से हो जायेंगे उजाले
चंदा कहेगा हँसकर सीने पे हाथ रखकर
वो जा रहे हैं देखो दो प्यार करनेवाले