राजा साहब घर नहीं - The Indic Lyrics Database

राजा साहब घर नहीं

गीतकार - | गायक - | संगीत - | फ़िल्म - | वर्ष - 1963

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बा आदद बा मुलाहेज़ा बा होसियार
नहीं नहीं बेअदब बे
मुलाहिजा बे मुहर
राजा साहब घर नहीं
हमको किसी का डर नहीं
आज तो गर्दन ऊँची करके
कहेंगे हम सो बार
बेअदब बे मुलाहिज़ा बे मुहर
बा आदद बा मुलाहेज़ा बा होसियार
राजा साहब घर नहीं
हमको किसी का डर नहीं
आज तो गर्दन ऊँची करके
कहेंगे हम सो बार
बेअदब बे मुलाहिज़ा बे मुहर
बा आदद बा मुलाहेज़ा बा होसियार

नाचेंगे और गाएँगे
चीखेंगे चिलायेंगे
मन मर्जी का पहनेंगे
मन मर्जी का खाएँगे
महल की ऊँची दीवारों
से दूर है पहरेदार
बेअदब बे मुलाहिज़ा बे मुहर
 

 

बा आदद बा मुलाहेज़ा बा होसियार
चुप गद्दार

आँखें झुकी झुकी हो क्यों
सांसे रुकी रुकी हो क्यों
राजा जी जब यहाँ नहीं
तो बाते हो बेतुकी क्यों
आज के दिन तो बंद करो
ये झूठ का कारोबार
बेअदब बे मुलाहिज़ा बे मुहर
बा आदद बा मुलाहेज़ा बा होसियार

रजो और सुल्तानों का
किस्सा गए जमानो का
रजो और सुल्तानों का
किस्सा गए जमानो का
इंसानो के आगे क्यों
शीश झुके इंसानो का
ए संझा युग इन
रस्मों से है बेजर
बेअदब बे मुलाहिज़ा बे मुहर
बा आदद बा मुलाहेज़ा बा होसियार.