गीतकार - शहरयारी | गायक - तलत अज़ीज़ | संगीत - खैय्याम | फ़िल्म - उमराव जान | वर्ष - 1981
View in Romanज़िंदगी जब भी तेरी बज़्म में लाती है हमें
ये ज़मीं चाँद से बेहतर नज़र आती है हमेंसुर्ख फूलों से महक उठती हैं दिल की राहें
दिन ढले यूँ तेरी आवाज़ बुलाती है हमें
ज़िंदगी ...याद तेरी कभी दस्तक कभी सरगोशी से
रात के पिछले पहर रोज़ जगाती है हमें
ज़िंदगी ...हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई क्यूँ है
अब तो हर वक़्त यही बात सताती है हमें
ज़िंदगी ...