यार ही मेरा कपड़ा लत्ता नी मैं यार मनाना एनआईआई - The Indic Lyrics Database

यार ही मेरा कपड़ा लत्ता नी मैं यार मनाना एनआईआई

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - लता मंगेशकर, मीनू पुरुषोत्तम | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - दाग | वर्ष - 1973

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ल: यार ही मेरा कपड़ा लत्ता यार ही मेरा गहना
यार मिले तो इज़्ज़त समझूँ कंजरी बन कर रहनाहूँ हूँ
नि मैं यार मणाणा नी चाहें लोग बोलियाँ बोलें
मी: नि मैं यार मणाणा नी चाहें लोग बोलियाँ बोलें
ल: नि मैं यार मणाणा नी चाहें लोग बोलियाँ बोलेंमैं तो बाज़ न आणा नी चाहें ज़हर सौतणें घोलें
मी: मैं तो बाज़ न आणा नी चाहें ज़हर सौतणें घोलें
ल: हो मुखड़ा उसका चाँद का टुकड़ा कद्द सरू का बूटा
मुखड़ा उसका चाँद का टुकड़ा कद्द सरू का बूटा
उसकी बाँह का हर हल्कोरा लगता स्वर्ग का जूतामी: नि मैं यार मणाणा नी चाहें लोग बोलियाँ बोलें
मैं तो बाज़ न आणा नी चाहें ज़हर सौतणें घोलेंल: यार मिले तो
ओ यार मिले तो जग क्या करना यार बिना जग सूना
यार मिले तो जग क्या करना यार बिना जग सूना
जग के बदले यार मिले तो यार का मोल दूँ दूना
मैं तो नई शर्माणा नी -२
चाहें लोग बोलियाँ बोलें -२
मैं तो सेज सजाणा नी चाहें ज़हर सौतणें घोलें
दो: मैं तो सेज सजाणा नी चाहें ज़हर सौतणें घोलें
ल: थिरक रही मेरे पैर की झाँझर झनक रहा मेरा चूड़ा
दो: थिरक रही मेरे पैर की झाँझर छनक रहा मेरा चूड़ा
ल: उड़ उड़ जाये आँचल मेरा खुल खुल जाये जूड़ा
दो: नि मैं यार मणाणा नी चाहें लोग बोलियाँ बोलें
मैं तो बाज़ न आणा नी चाहें ज़हर सौतणें घोलेंल: बैठ अकेली
हो बैठ अकेली करती थी मैं दीवारों से बातें
बैठ अकेली करती थी मैं दीवारों से बातें
आज मिला वो यार तो बस गईं फिर से सूनी रातें
मैं तो झूमर पाणा नी -२
चाहें लोग बोलियाँ बोलें -२
नच के यार रिझाणा नी चाहें ज़हर सौतणें घोलें
दो: नच के यार रिझाणा नी चाहें ज़हर सौतणें घोलेंल: बिछड़े यार ने फेरा डाला प्रीत सुहागन हुई -२
आज मिली जो दौलत उसका मोल ना जाने कोई
दो: नि मैं यार मणाणा नी चाहें लोग बोलियाँ बोलें
मैं तो बाज़ न आणा नी चाहें ज़हर सौतणें घोलें