जिया जले जान जले - The Indic Lyrics Database

जिया जले जान जले

गीतकार - गुलजार | गायक - लता मंगेशकर, सहगान | संगीत - ए आर रहमान | फ़िल्म - दिल से | वर्ष - 1998

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जिया जले, जान जले नैनों तले धुआँ चले, धुआँ चले
रात भर धुआँ चले
जानूँ न जानूँ न जानूँ न सखि री
जिया जले, जान जले ...देखते हैं तन मेरा मन में चिभती है नज़र
होंठ सिल जाते उनके नर्म होंठों पे मगर
गिनती रहती हूँ मैं अपनी करवटों के सिलसिले
क्या करूँ कैसे कहूँ, रात कब कैसे ढले
जिया जले, जान जले ...अंग अंग में जलती हैं दर्द की चिंगारियाँ
मसले फूलों की महक में तितलियों की क्यारियाँ
रात भर बेचारि मेहन्दी पिसती रही, पैरों तले
क्या करूँ कैसे कहूँ, रात कब कैसे ढले
जिया जले, जान जले ...