हर अंधेरे के पीछे हे यह है बॉम्बे टाउन - The Indic Lyrics Database

हर अंधेरे के पीछे हे यह है बॉम्बे टाउन

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - ठीक है ठीक है | संगीत - संदेश शांडिल्य | फ़िल्म - सुपारी | वर्ष - 2003

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हर अन्धेरे के पीछे इक सवेरा यहाँ
हर सवेरे के पीछे एक अन्धेरा यहाँ
है समन्दर किनारे शहर यूँ तो बसा
ख़ुद भी जैसे समन्दर शहर है लग रहा
शहर है एक समन्दर जैसे हालात का
शहर है एक समन्दर कितने जज़्बात का
आँसुओं की हैं मौजें मुश्क़िलों के भँवर
जो नहीं तैर पाया रह गया डूब कर
तूफ़ानी शहर है हर पल एक लहर है अमृत है ज़हर है
मौत भी दे जीवन बिहि दे
हे ये है bombay town-२
bombayये है bombay town
हे ये है bombay townकोई देखे जिधर भी कितने इन्सान हैं
और सब के दिलों में कितने अरमान हैं
कितने ग़म और ख़ुशियाँ पल रहे हैं यहाँ
लोग ख़्वाबों के पीछे चल रहे हैं यहाँ
ठोकरें खा रहे हैं अब इधर अब उधर
इक इन्सानी जंगल जैसे है ये नगर
तूफ़ानी शहर है हर पल एक लहर है अमृत है ज़हर है
मौत भी दे जीवन भी दे
हे ये है bombay town-२
bombayये है bombay town
हे ये है bombay townशाम है ना सवेरा दिन है ना रात है
जाने कैसा ये पल है जाने क्या बात है
कह रही हैं ये राहें कोई खोने को है
कह रही हैं हवायें कुछ तो होने को है
ग़म का लवा समेटे दिल है कब से दुखी
फटने वाला है देखो अब ये ज्वालामुखी
तूफ़ान
तूफ़ानी शहर है
तूफ़ान
हर पल एक लहर है
तूफ़ान
अमृत है ज़हर है
मौत भी दे जीवन भी दे
हे ये है bombay town-४
bombayये है bombay town-४
हे ये है bombay town-३
bombayये है bombay town
हे ये है bombay town