मैं टू हीर का हुं दिवाना एक चंद का टुकड़ा - The Indic Lyrics Database

मैं टू हीर का हुं दिवाना एक चंद का टुकड़ा

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - हेमंत कुमार | संगीत - अनिल बिस्वास | फ़िल्म - हीर | वर्ष - 1956

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मैं तो हीर का हूँ दीवाना
हो ओ ओ ओ ओ
मैं तो हीर का हूँ दीवानाएक चाँद का टुकड़ा
एक फूल सा मुखड़ा बात हसीं
उसको सितारों तुमने कहीं देखा तो नहींओ ओ ओ ओ
नाम उसका सुना है जब से
दिल पूँछ रहा है सब से
बस एक झलक मिल जाए
प्यासी हैं निगाहें कब से
अब कुछ तो बताओ गुम है कहाँ वो पर्दानशीन
उसको सितारों तुमने कहीं देखा तो नहीं
चाँद का टुकड़ा ...ओ ओ ओ ओ
सुन कर उस का अफ़साना इक मैं ही नहीं दीवाना
कह्ते उस मुखड़े का आईना भी परवाना
हाय गुल से निखड़्ती बनती सँवरती होगी कहीं
उसको सितारों तुमने कहीं देखा तो नहीं
चाँद का टुकड़ा ...ओ ओ ओ ओ
देखा तो नहीं है फिर भी मरता हूँ उस क़ातिल पर
वो पाँव कहीं रखती हो पड़ता हैं हमारे दिल पर
वो पाँव % short-pause##
##vo paa.Nv kahii.n rakhatii ho pa.Dataa hai.n hamaare dil par##
##hai duur nazar se phir bhii adil se duur nahii.n##
##usako sitaaro.n tumane kahii.n dekhaa to nahii.n##
##chaa.Nd kaa Tuka.Daa ...##
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