तुम कमसिन हो, नादाँ हो, नाज़ुक हो, भोली हो - The Indic Lyrics Database

तुम कमसिन हो, नादाँ हो, नाज़ुक हो, भोली हो

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - शंकर जयकिशन | फ़िल्म - आई मिलन की बेल | वर्ष - 1964

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तुम कमसिन हो, नादाँ हो, नाज़ुक हो, भोली हो
सोचता हूँ मैं कि तुम्हें प्यार ना करूँ
मदहोश अदा ये अल्हड़पन
बचपन तो अभी रूठा ही नहीं
एहसास है क्या और क्या है तड़प
इस सोच में दिल डूबा ही नहीं
तुम आहें भरो और शिकवे करो
ये बात हमें मंज़ूर नहीं
तुम तारें गिनो और नींद उड़े
वो रात हमें मंजूर नहीं