तुम जो मिल गए हो, तो ये लगता है - The Indic Lyrics Database

तुम जो मिल गए हो, तो ये लगता है

गीतकार - कैफ़ी आज़मी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - हंसते ज़ख्मी | वर्ष - 1973

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तुम जो मिल गए हो तो ये लगता है
कि जहां मिल गया
एक भटके हुए राही को कारवां मिल गया
बैठो ना दूर हमसे, देखो ख़फ़ा न हो
किस्मत से मिल गए हो, मिल के जुदा न हो
मेरी क्या खता है, होता है ये भी
कि जमीं से भी कभी, आसमां मिल गया
तुम क्या जानो तुम क्या हो
एक सुरीला नग्मा हो
भीगी रातों में मस्ती, तपते दिन में साया हो
अब जो आ गए हो, जाने ना दूंगा
कि मुझे एक हसीं मेहरबा मिल गया
तुम भी थे खोये खोये, मैं भी बुझा बुझा
था अजनबी ज़माना, अपना कोई न था
दिल को जो मिल गया है तेरा सहारा
एक नई जिन्दगी का निशां मिल गया