ये ख़ुशी का समाँ - The Indic Lyrics Database

ये ख़ुशी का समाँ

गीतकार - नक्श लायलपुरी | गायक - तलत | संगीत - स्नेहल भटकर | फ़िल्म - दिवाली की रात | वर्ष - 1956

View in Roman

ये ख़ुशी का समाँ
ज़िन्दगी है जवाँ
आ निगाहें मिला के तो देख
कह रही है फ़िज़ा
दो घड़ी मुसकरा
दिल की दुनिया बसा के तो देख
( मौसम नया आ गया
ले कर फ़साने नये )
कहती है ये बेख़ुदी
गा ले तराने नये
( आँहों से मस्ती लुटा
दिल को मचलना सिखा )
दिल की ख़ुशी के लिये
दुनिया को तू भूल जा
ये ख़ुशी का समाँ
ज़िन्दगी है जवाँ
आ निगाहें मिला के तो देख
कह रही है फ़िज़ा
दो घड़ी मुसकरा
दिल की दुनिया बसा के तो देख
( उल्फ़त की राहों में आ
दामन को रंगीं बना )
दिल के जहाँ को बदल
अपना मुक़द्दर जगा
ये ख़ुशी का समाँ
ज़िन्दगी है जवाँ
आ निगाहें मिला के तो देख
कह रही है फ़िज़ा
दो घड़ी मुसकरा
दिल की दुनिया बसा के तो देख$