कोठे उपर कोथरा मैं उस पर रेल चल दुंगि - The Indic Lyrics Database

कोठे उपर कोथरा मैं उस पर रेल चल दुंगि

गीतकार - समीर | गायक - अलका याज्ञनिक | संगीत - आनंद, मिलिंद | फ़िल्म - जय विक्रांत: | वर्ष - 1995

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कोठे ऊपर कोठरा हाँ
मैं उस पर रेल चला दूंगी
शहर शहर और गांव गांव में जाकर धूम मचा दूंगी
मैं तो हूँ इक हुस्न का शोला दिलवालों को जला दूंगी
कोठे ऊपर कोठरा ...आओ मेरे चाहने वालों जळी टिकट कटा लो तुम
बम्बई दिल्ली पटना क्या londonकी सैर करा दूंगी
कोठे ऊपर कोठरा ...मैं ज़ुल्मी नौटंकी वाली दिल ज़रा थाम के बैठो जी
मारूंगी ठुमके पे ठुमका सबके होश उड़ा दूंगी
कोठे ऊपर कोठरा ...देख के मेरी भरी जवानी जो कोई राह में छेड़ेगा
कह कर दरोगा बाबू से उसको अन्दर करवा दूंगी
कोठे ऊपर कोठरा ...जो मेरा सजना कहेगा मुझसे बाहों में भर लेने को
पलंग बिछा कर उस पर मैं फूलों की सेज सजा दूंगी
कोठे ऊपर कोठरा ...