दो तेरी अखियां लोग इसी को कहते हैं इश्क मोहब्बत प्यार - The Indic Lyrics Database

दो तेरी अखियां लोग इसी को कहते हैं इश्क मोहब्बत प्यार

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - अलका याज्ञनिक | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - प्रेम | वर्ष - 1995

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दो तेरी अँखिया दो मेरी अँखियां
अँखियां हो गईं चार
लोग इसी को कहते हैं इश्क़ मोहब्बत प्यार
इक तेरा दिल इक मेरा दिल
दो दिल इक झंकार
लोग इसी को कहते हैं ...है तेरा नाम सिपईया
नाम तो मैं जानूं तेरा एक चोर है
वो जिसके कारण चोर सिपईया बन गया
वो तू है या कोई और है
अब कुछ होता नहीं होता अब इससे इन्तज़ार
लोग इसी को कहते हैं ...और तुझे मैं क्या दूं
आ तेरी इन ज़ुल्फ़ों में ये दिल का फूल लगा दूं
मेरे गले में बस रहने दे इन बाहों का हार
लोग इसी को कहते हैं ...लाज मुझे लाख मना करती है
ये जोबन लेता है अंगड़ाईयां
हे आती है जब जब तेरी याद तो
बजती हैं बजती हैं दूर कहीं शहनाईयां
रात हो दिन अब तड़पे दिल आता नहीं करार
लोग इसी को कहते हैं ...