मुहब्बत जता के आँखें लड़ा के - The Indic Lyrics Database

मुहब्बत जता के आँखें लड़ा के

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - रफ़ी, चितालकर | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - सगाई | वर्ष - 1951

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हसीनों की गाड़ी में आशिक़ का घोड़ा
बेदर्द किस्मत के हाथों ने जोदा
{मुहब्बत जता के आँखें लड़ा के
चले आ रहे हैं हजामत करा के, होय्!
चले आ रहे हैं हजामत करा के}
कहा मैं ने उस से मुहब्बत करूँगा
तुम्हारे लिये ही जियूँगा मरूँगा
हो जियूँगा मरूँगा
फ़टाफ़ट दिया हाय रे
फ़टाफ़ट दिया एक चाँटा जमा के
चले आ रहे हैं हजामत करा के...
{कहा मैं ने दिल को हथेली पे रख के
ये अनमोल मोती है ले लो परख के
जि ले लो परख के}
वो चलते बने
- अच्छा जि?
चलते बने दिल को ठोकर लगा के
चले आ रहे
कहा था बुज़ुर्गों ने दिल ना लगाना जी दिल न लगाना
जी दिल न लगाना
मुहब्बत की गर्मी से दामन बचाना
हो दामन बचाना हो दामन बचाना
मगर अब तो बैठे
मगर अब तो बैठे हैं दामन जला के
चले आ रहे