मुहब्बत ही न जो समझे, वो ज़ालिम प्यार क्या जाने - The Indic Lyrics Database

मुहब्बत ही न जो समझे, वो ज़ालिम प्यार क्या जाने

गीतकार - नूर लखनवी | गायक - तलत | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - परछाईं | वर्ष - 1952

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मुहब्बत ही न जो समझे, वो ज़ालिम प्यार क्या जाने
निकलती दिल के तारों से, जो है झंकार क्या जाने
मुहब्बत ही न जो समझे
उसे तो क़त्ल करना और तड़पाना ही आता है
गला किसका कटा क्यूँकर कटा तलवार क्या जाने
मुहब्बत ही न जो समझे
दवा से फ़ायदा होगा कि होगा ज़हर-ए-क़ातिल से
मज़.र की क्या दवा है ये कोई बीमार क्या जाने
मुहब्बत ही न जो समझे
करो फ़रियाद सर टकराओ अपनी जान दे डालो
तड़पते दिल की हालत हुस्न की दीवार क्या जाने
मुहब्बत ही न जो समझे