दुनिया में कितना ग़म है - The Indic Lyrics Database

दुनिया में कितना ग़म है

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - मोहम्मद अज़ीज़ | संगीत - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल | फ़िल्म - अमृत | वर्ष - 1986

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दुनिया में कितना ग़म है
मेरा ग़म कितना कम है
लोगों का ग़म देखा तो
मैं अपना ग़म भूल गया
कोई एक हज़ारों में
शायद ही खुश होता है
कोई किसी को रोता है
कोई किसी को रोता है
घर घर में ये मातम है
इस का रंग-रूप यही
इसको जीवन कहते हैं
कभी हँसी आ जाती है
कभी ये आँसू बहते हैं
दुःख सुख का ये संगम है
सबके दिल में शोले हैं
सबकी आँख में पानी है
जिसको देखो उसके पास
एक दुःख भरी कहानी है
दुखिया सारा आलम है