वो तिर दिल पे चल जो तेरी कामां में है - The Indic Lyrics Database

वो तिर दिल पे चल जो तेरी कामां में है

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले | संगीत - रोशन | फ़िल्म - आरती | वर्ष - 1962

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र : वो तीर दिल पे चला जो तेरी कमान में है
आ : हाय किसी की आँख में जादू तेरी ज़ुबान में हैर : नज़र में आते ही तुम तो जिगर में समाए सनम
जिगर में आते ही दिल की तरफ़ बढ़ाए क़दम
कहीं ठहरती नहीं जो उसी अदा की क़सम -२
ज़मीं पे है वही बिजली जो आसमान में है
आ : हाय किसी की आँख ...ये माना रंग मोहब्बत के हो चले गहरे
मगर लबों पे हैं दिलों पे हैं पहरे
जो बेक़रार हो दिल से कहीं वो क्या ठहरे
अभी तो हुस्न मोहब्बत के इम्तहान में है
र : वो तीर दिल पे चला ...आ : तुम्हारी आँखों के आगे ये दिन ये रात कहाँ
र : गुलों की शाख कहाँ एक सनम का हाथ कहाँ
आ : हसीन देखे हज़ारों मगर ये बात कहाँ -२
दो : ये बात और है जो तेरी आनबान में है
किसी की आँख ...