दुनिया में ऐसा कहाँ सबका नसीब है - The Indic Lyrics Database

दुनिया में ऐसा कहाँ सबका नसीब है

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - रोशन | फ़िल्म - देवर | वर्ष - 1966

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दुनिया में ऐसा कहाँ सबका नसीब है
कोई कोई अपने पिया के करीब है
दूर ही रहते हैं उनसे किनारे
जिन को ना कोई माँझी पार उतारे
साथ है माँझी तो किनारा भी करीब है
चाहे बुझा दे कोई दीपक सारे
प्रीत बिछाती जाए राहों में तारें
प्रीत दीवानी की कहानी भी अजीब है
बरखा की रुत हो या दिन हो बहार के
लगते हैं सुने सुने बिन तेरे प्यार के
तू है तो ज़िन्दगी को ज़िन्दगी नसीब है