आपकी कुबासुरात आंखों में समा सकता हुं - The Indic Lyrics Database

आपकी कुबासुरात आंखों में समा सकता हुं

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - आशा भोंसले, देव आनंद | संगीत - कल्याणजी, आनंदजी | फ़िल्म - महल | वर्ष - 1969

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देव: आप की खूबसूरत आँखों में समा सकता हूँ?
क्या मैं अन्दर आ सकता हूँ?आशा:आइये आपका था हमें इन्तज़ार-२
आना था आ गये, hm... कैसे नहीं आते सरकार-२
hm... कैसे नहीं आते सरकार
आइये...देव:अपनी महफ़िल में जिसे चाहे बुला सकते हैं आप
हम भला क्या हैं? सितारों को झुका सकते हैं आपआशा:(हँसी...)
हम ना कहते थे निगाहों से खिचे आएंगे आप-२
रात भर जागेंगे तड़पेंगे मचल जाएंगे आप
(नींद नही आएगी-२), आँख लड़ जएगी
हमे यूँ ना ठुकराइए...
आइये...(हँसी...)
आइये ना...आइये आपका था हमे इन्तज़ार
आना था आ गये, हो... कैसे नहीं आते सरकार
आना था आ गये, hm... कैसे नहीं आते सरकार
आइये...देव:मौसम सुहाना है, दिलकश ज़माना है
फिर भी उदासी है, ये रात प्यासी हैआश:हाय ...
एक तो हम तुम अकेले फिर समा ये रात का-२
देखता सुनता नहीं कोई है डर किस बात का
आके ज़रा बाहों में-२
बसके निगाहों में
दिल ज़रा धड़काइये
आइये...(हँसी...)
आइये ना...आइये आपका था हमे इन्तज़ार
आना था आ गये
hm... कैसे नहीं आते सरकार
आना था आ गये
हे ... कैसे नहीं आते सरकार
आइये...