क्या ये दुनिया है ज़ुल्म की नगरी में - The Indic Lyrics Database

क्या ये दुनिया है ज़ुल्म की नगरी में

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - शंकर, जयकिशन | फ़िल्म - आस | वर्ष - 1953

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क्या ये दुनिया है यहाँ कर के भलाई देख ली
सोच ना सकते थे जो वो भी बुराई देख लीज़ुल्म की नगरी में किसी का कौन सहारा है -२
सब तो पराये हैं जहाँ में कौन हमारा है -२ओ ओ पापी को आराम जगत में पापी को आराम
ओ ओ पुन वाले बदनाम जगत में पुन वाले बदनाम
देख लिया संसार यहाँ का खेल ही न्यारा है -२ज़ुल्म की नगरी में किसी का कौन सहारा है -२ओ ओ छीना मेरा लाल जगत ने छीना मेरा लाल
ओ ओ ममता है बेहाल यहाँ पर ममता है बेहाल
मुझसे हुआ है दूर जो मेरी आँख का तारा है -२ज़ुल्म की नगरी में किसी का कौन सहारा है -२ओ ओ अन्यायी की जीत यहां पर अन्यायी की जीत
ओ ओ रोती सच्ची प्रीत यहाँ पर रोती सच्ची प्रीत
सुनते हो भगवान यही इन्साफ़ तुम्हारा है -२ज़ुल्म की नगरी में किसी का कौन सहारा है
सब तो पराये हैं जहाँ में कौन हमारा है
ज़ुल्म की नगरी में किसी का कौन सहारा है