दयार-ए-दिल की रात में चिराग़ सा जला गया - The Indic Lyrics Database

दयार-ए-दिल की रात में चिराग़ सा जला गया

गीतकार - नासिर काज़मी | गायक - आशा भोसले - ग़ुलाम अली | संगीत - गुलाम अली | फ़िल्म - मिराज ए ग़ज़ल | वर्ष - Nil

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दयार-ए-दिल की रात में चिराग़ सा जला गया
मिला नहीं तो क्या हुआ वो शक्ल तो दिखा गया
जुदाईयों के ज़ख़्म दर्द-ए-ज़िन्दगी ने भर दिए
तुझे भी नींद आ गई मुझे भी सब्र आ गया
ये सुबह की सफ़ेदियां, ये दोपहर की ज़र्दियां
अब आईने में देखता हूँ मैं कहाँ चला गया
वो दोस्ती तो ख़ैर अब नसीब-ए-दुश्मनाँ हुई
वो छोटी छोटी रंजिशों का लुत्फ़ भी चल गया
ये किस ख़ुशी की रेत पर ग़मों को नींद आ गई
वो लहर किस तरफ़ गई ये मैं कहाँ समा गया